असिमता फ़ाउंडेशन
“असिमता फाउंडेशन” एक सामाजिक संगठन है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य प्रदेश के शोषित, वंचित मनुष्य के जीवन स्तर में सुधार लाना और उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक न्याय प्रदान करना है। किसी भी सामाजिक कार्य को करने हेतु हमको एक समर्पित एवं एकीकृत संगठित की आवश्यकता होती है, जिसको मैंने असिमता फाउंडेशन नाम दिया है, जिसकी स्थापना 13 जून 2023 को की गयी थी। हमारे देश में आज़ादी के लगभग 75 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात भी समाज के व्यक्तियों को आर्थिक एवं सामाजिक न्याय मिलना तो दूर की बात है, अपितु उन्हें इन शब्दों के बारे में जानकारी भी नहीं है।
प्रेरणास्त्रोत
मेरे प्रेरणास्त्रोत मेरे पिताश्री स्वर्गीय श्री सुरेन्द्र पाल सिंह हैं, जो उत्तर प्रदेश पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे, जिनको सरकारी नौकरी में रहने के बावजूद सामाजिक कार्यों में रुचि थी और उनका बढ़ावा देने का कार्य भी किया। उन्होंने मुझे सिखाया कि अपने विचारों के साथ समझ में आये सिद्धांतों एवं मूल्यों से कभी भी समझौता मत करना, सम्भव हो कुछ अथक प्रयास के लिये आपको असफलता मिलें परन्तु इन्हीं सिद्धांतों एवं मूल्यों से जो सफलता तुम्हें प्राप्त होगी, वो समाज एवं राष्ट्र के लिये हितकर होगी।
वह पथ क्या पथिक, कुशलता क्या,
जिस पथ में बिखरे शूल न हों।।
नाविक की धैर्य कुशलता क्या
जब धारायें प्रतिकूल न हों।।
कभी-कभी में उनसे सवाल करता था कि आपको समाजसेवा के क्षेत्र में होना चाहिये क्योंकि जो योग्यता एवं सामर्थ्य आपके अंदर है, उसके अनुसार आप गलत क्षेत्र में हैं। तब वे कहते थे मैं पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण जिन क्षेत्रों को पूर्ण नहीं कर पाया हूँ, आशा करता हूँ, मेरे ये सपने आप कुछ अवश्य पूर्ण करोगे। उन्हीं विचारों के रूप में जो निर्वाह एवं कर्तव्यपथ जो उन्होंने मुझे सिखाया, उन्हीं मूल्यों को सगोंजने में इस कर्तव्यपथ पर अग्रसर हूँ। वह कहते थे कि एक पिता की ज़िम्मेदारी, पुत्र के रूप में सदैव जीवित रहती है, आज भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन, विचारों के रूप में सदैव मुझे प्रेरित रखेंगे।
मेरे राजनीतिक एवं सामाजिक विचार
राजनीति एक ऐसा शब्द है, जिसके लेकर लोगों के अनेक पूर्वाग्रह हैं, जिसमें लोगों का एक विचार यह भी है कि आम मनुष्य को राजनीति से दूर रहना चाहिए और उसमें भागीदार न बनकर केवल विचार ही रखने चाहिए। योजनाएँ, राजनीति हमारे भविष्य के लिये पॉलिसीज़ बनाती है, और उन्हें क्रियान्वित भी करती है। या दूसरे शब्दों में राजनीति ही हमारे देश के हर बच्चे का भविष्य तय करती है कि शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य कैसे मिलेगा?
निष्कर्ष यह है कि राजनीति का जन्म इस तथ्य से होता है कि हमारे और हमारे समाज के लिये क्या उचित और आवश्यक है और क्या नहीं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीति का सम्बन्ध किसी भी तरीके से निजी स्वार्थ साधने के धन्धे से जुड़ गया है। हमें समझने की ज़रूरत है कि राजनीति किसी भी समाज का महत्वपूर्ण एवं अविभाज्य अंग है।
हम देखते हैं कि सरकारें हमारी आर्थिक नीतियाँ, शिक्षा नीति एवं रोज़गार एवं स्वास्थ्य नीति विहित करती हैं। ये नीतियाँ लोगों के जीवन को उन्नत करने में सहायक कर सकती हैं, लेकिन एक अकुशल और भ्रष्ट सरकार लोगों के जीवन और सुरक्षा को ख़तरे में डाल सकती है। लेकिन एक समझदार समाज रूप से इसे कभी नहीं स्वीकारती है और अपनी सरकार को बदल देती है। लेकिन जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, बच्चों की शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा, लोग इलाज समय पर नहीं पा पाएँगे, बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। इन सब कारणों से समाज उससे पूरी तरह से जुड़ा नहीं, राजनीति हमारे दैनिक जीवन पर किस तरह असर डालती है। अपने जीवन की एक घटना का विश्लेषण कीजिये। हमारे समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बनाना चाहता है लेकिन राजनीतिज्ञ नहीं, क्यों?
जबकि सच्चाई यह है कि राजनीति ही हमारा भविष्य तय करती है कि हमें कैसी शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य मिलेगा, जोकि मानव जीवन की मौलिक आवश्यकताएँ हैं। राजनीति ही हमारे लिये पॉलिसीज़ तय करती है। जब तक हम पॉलिसी मेकर नहीं बनेंगे तब तक हमारा भविष्य अंधकारमय रहेगा।
दूसरी ओर वोट देते समय शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर वोट कीजिये। जब वोट डालने जायें तो अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचिये, देखिये क्या आप जिसको वोट कर रहे हैं, वो इंसान आपकी बच्चों की शिक्षा और रोज़गार के बारे में सोचता है? क्या उसने कोई अच्छा काम शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य के क्षेत्र में किया है? अगर नहीं तो सवाल उठना चाहिए क्या हमने उसे शिक्षा, रोज़गार एवं स्वास्थ्य के लिये वोट दिया है। अगर नहीं तो फिर हमें शिक्षा, रोज़गार एवं स्वास्थ्य सम्भव कैसे हो सकते हैं।
जब तक मध्यम और निम्न वर्ग जागरूक नहीं होगा, तब तक समाज के हालात नहीं सुधरेंगे। हम सभी लोग राजनीति पर घरों में बैठकर चर्चा करते हैं, लेकिन जब उनमें भागीदार बनने का समय आता है तो उल्टे पैर भागते हैं।
प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो का कथन है
If you do not participate in the politics,
You will be ready to be ruled by your inferior.
अर्थात अगर आप राजनीति में भागीदार नहीं बनेंगे, तो आपके समाज का मूर्ख व्यक्ति आप पर शासन करेगा। तो आइये मैं देवेन्द्र पाल आप सभी को आह्वान देता हूँ, इस समाज और राष्ट्र निर्माण के कार्य में हमारे साथ जुड़िये और हम मिलकर इस असमानता को दूर करें।
मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि राष्ट्र और समाज पुनःस्थापन का कार्य हमने अपने हाथों में लिया है, जब तक ये पूरा नहीं हो जाता, तब तक शांति से नहीं बैठेंगे, विश्राम से नहीं बैठेंगे।
मैं कुछ पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा,
जो मुश्किल हालात में सदैव मेरी प्रेरणास्त्रोत हैं—
विपत्त में, विरोध में अडिग रहो, अटल रहो।
विषम समय के चक्र में भी साहस प्रबल रहो।।
तप है जो जलता है जो चमक उसी में आई है।
समस्त ताप-तनाव में भी बढ़े चलो सफल रहो।।
विपत्त में, विरोध में अडिग रहो, अटल रहो।।
